कौन हूँ टटोल कर देखूँ ज़रा भूमिकाओं के उपनगर में सिमटी रही हूँ मैं सदा ! पुत्री, सखी, पत्नी, माता ब... कौन हूँ टटोल कर देखूँ ज़रा भूमिकाओं के उपनगर में सिमटी रही हूँ मैं सदा ! पुत्री...
वो समझते नहीं कौन जाएगा दूर घर से, अपनी मिट्टी , अपने गांव , अपने शहर से, वो समझते नहीं कौन जाएगा दूर घर से, अपनी मिट्टी , अपने गांव , अपने शहर से,
जिंदगी में इक नया सवेरा लाने की कोशिश की है जिंदगी में इक नया सवेरा लाने की कोशिश की है
यह कविता मैंने अपने दोस्त वरुण के लिए लिखी थी। पिछले साल जिसकी मृत्यु डेंगू और विषाक्त खाने के कारण ... यह कविता मैंने अपने दोस्त वरुण के लिए लिखी थी। पिछले साल जिसकी मृत्यु डेंगू और व...
दिल में बसी जीवन की मधुर यादें.... दिल में बसी जीवन की मधुर यादें....
घर में घर में